Policy Implications and recommendations for the future:
1) Revise existing plastics-related laws or regulations to encompass the management of all plastics, covering the entire life cycle from manufacturing to disposal.
2) Conduct regular communication activities related to plastics management and governance through tailored communication products and channels aimed at specific audiences including mass media campaigns (broadcast and online), sponsored articles in news publications, email updates for stakeholders, podcasts and other audio media, You Tube, interactive platforms and webinars, representation at cultural events and community-based awareness campaigns
3) Systematically record data on enforcement of plastics-related laws and regulations
4) Provide training in plastics recycling and how to build a circular economy
5) Provide more incentives to mount innovative projects which contribute to the management or reduction of plastic waste.
Conclusion
In Rwanda important advances have been made in building laws, policies and infrastructure for plastics governance. Crucially, enforcement of these laws is facilitated by REMA’s collaboration with a Rwanda National Police unit specifically tasked with assisting in enforcement of environmental laws. Rwanda’s coupling of plastics-related policies and legal instruments and institutions entrusted with their implementation is a powerful one, albeit limited by a lack of data on enforcement and the fact that current policies and legal frameworks do not cover all plastics.
Stakeholders are able to utilise a number of communication channels to sensitise the public to the perils of plastic pollution, as well as to existing laws, regulations and policies that govern plastics management. Platforms also exist that enable multiple stakeholder groups to collaborate in a mutually supportive way. Nonetheless, additional community outreach activities are needed to enhance communication with the public, promoting awareness of existing instruments and enhancing implementation of incoming policies and laws.
In recent years Rwanda has begun taking plastics management, waste recycling and the need for a circular economy extremely seriously, but remains hampered by a lack of both technical know-how and funding. There is also a need to ensure that financial resources and legal incentives are available to support and encourage both education for sustainable working and living and investment in plastics recycling, cleaner production and the circular economy.
This post is based on research conducted by Dr Aime Tsinda and Dr Marie Rose Turamwishimiye at The University of Rwanda. The full policy brief can be downloaded via the Governing Plastics Network’s media page.
विकासशील देशों में सिगरेट बट्स, प्लास्टिक कचरों इत्यादि से क्रषि भूमियों, कस्बों की पोखरों, नदियों, पशु-पक्षियों और सार्वजनिकता को सुरक्षित किऐ जाने के लिऐ आवश्यक है कि सार्वजनिक व्यक्तिगत उत्पादन में एकल उपयोग कचरों (प्लास्टिक इत्यादि) के संग्रहण की लम्बी अवधियों से प्रक्रियागत व्यवस्था की क्षमताऐं जुड़ें।
डस्टबीनों, डंम्पिंग जोनों और व्यवस्था में केवल उन्हीं कचरों को आने देना चाहिऐ। जिनका निवासी प्रबंधन, संग्रह नहीं कर सकते। इससे पर्यावरण में हो रही कचरों की लगातार पहुंच में ऐतिहासिक कमी लायी जा सकेगी, सार्वजनिकता में उपस्थित कचरों पर अधिक तेजी से नियंत्रण और कार्य हो सकेंगें।
साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में साफ, सूखे कचरों की उपलब्धता रहने पर प्लास्टिक कचरों से डीजल, ईंटें और अन्य उत्पाद बनाने के अति शूक्ष्म व्यवसायों, रोजगारों में सहायता होगी। शहरी क्षेत्रों में रीसाइक्लिंग इकाइयों, प्रक्रियाओं के लिऐ साफ, सूखे, बेहतर गुणवत्ता के कचरे उपलब्ध होने पर पानी, ऊर्जा की न्यूनतम खपत और गुणवत्तापूर्ण उत्पादन होंगें।
विकासशील देशों में कचरा बीनने वाले लाखों से अधिक लोगों को स्वच्छ कपड़ों, स्वच्छ परिवेश और स्वच्छ जीवनशैली के साथ व्यवस्थागत, निवासियों से साफ, सूखे कचरों की अपेक्षित मात्राओं को लिऐ जाने और प्रक्रियाओं, इकाईयों की क्षमताओं में दिऐ जाने की नैतिक, न्यायपूर्ण, मानवीय, पर्यावरण हितैषी और संम्मान जनक कार्यपद्धति मिलनी चाहिऐ।
सरकारों को रसोई गैस वितरण, राशन वितरण, बिजली के बिल भुगतान और नौकरियों के भुगतान में निवासियों के पास उपलब्ध पुस्तिका में साफ, सूखे कचरों की क्रमानुसार बढ़ी मात्राओं के विवरण दर्ज कराने चाहिऐ। निवासियों को पर्यावरण संरक्षणमय जीवनशैली देनी चाहिऐ। और पर्यावरण, सार्वजनिकता को कचरों से सुरक्षित रखने की नैतिक और मानवीय कार्यपद्धति अनुपालन में लानी चाहिऐ।
दुकानों, व्यवसायों और संस्थानों से जैविक कचरों को नीतिगत तौर पर लिया जाना, इससे खाद बनाया जाना और इसके व्यवसाय संचालित होना आवश्यक है। महत्त्वपूर्ण है।
लेकिन घरेलू आधार पर निवासियों से जैविक कचरों को लिया जाना उन्हें व्यक्तिगत लाभों से वंचित करना है। उन्हें गरीबी की ओर धकेला जाना है। अति गरीबों के लिऐ विकट स्थितियां पैदा करना है।
जैविक कचरों के प्रबंधन की घरेलू प्राथमिकताओं से निवासियों को कुछ सब्जियां, छोटे पौधों के फल उपलब्ध होने चाहिऐ। जिससे बाजार में उपलब्ध कुछ खाद्य वस्तुओं पर दवाब कम हो सकें और अति गरीबों तक ऐसी खाद्य वस्तुओं की पहुंच आसान, सुलभ हो सके।
सरकारों को नियमों, प्रावधानों, प्रोत्साहनों और बाध्यताओं से सभी दुकानों, व्यवसायों और संस्थानों के उत्पादित जैविक, एकल उपयोग कचरों (प्लास्टिक इत्यादि) को प्रक्रियागत, व्यवस्थागत करना चाहिऐ। रासायनिक कचरों के प्रबंधन की नीतिपूर्ण व्यवस्था अनिवार्य करानी चाहिऐ। और एक निवासी, एक घर को पर्यावरण, मानवता के संरक्षणों से जोड़ना चाहिऐ।
पर्यावरण, सार्वजनिकता में धूप, पानी, कीचड़, अधिक तापमान से प्लास्टिक कचरों के उत्सर्जन, बिखराव, रिसाव और शूक्ष्म कणों के टूटने में, अतिरिक्त कचरों को पहुंचने से रोकने में यह कार्यपद्धति अति विशेष अहम है।
विकासशील देशों में सिगरेट बट्स, प्लास्टिक कचरों इत्यादि से क्रषि भूमियों, कस्बों की पोखरों, नदियों, पशु-पक्षियों और सार्वजनिकता को सुरक्षित किऐ जाने के लिऐ आवश्यक है कि सार्वजनिक व्यक्तिगत उत्पादन में एकल उपयोग कचरों (प्लास्टिक इत्यादि) के संग्रहण की लम्बी अवधियों से प्रक्रियागत व्यवस्था की क्षमताऐं जुड़ें।
डस्टबीनों, डंम्पिंग जोनों और व्यवस्था में केवल उन्हीं कचरों को आने देना चाहिऐ। जिनका निवासी प्रबंधन, संग्रह नहीं कर सकते। इससे पर्यावरण में हो रही कचरों की लगातार पहुंच में ऐतिहासिक कमी लायी जा सकेगी, सार्वजनिकता में उपस्थित कचरों पर अधिक तेजी से नियंत्रण और कार्य हो सकेंगें।
साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में साफ, सूखे कचरों की उपलब्धता रहने पर प्लास्टिक कचरों से डीजल, ईंटें और अन्य उत्पाद बनाने के अति शूक्ष्म व्यवसायों, रोजगारों में सहायता होगी। शहरी क्षेत्रों में रीसाइक्लिंग इकाइयों, प्रक्रियाओं के लिऐ साफ, सूखे, बेहतर गुणवत्ता के कचरे उपलब्ध होने पर पानी, ऊर्जा की न्यूनतम खपत और गुणवत्तापूर्ण उत्पादन होंगें।
विकासशील देशों में कचरा बीनने वाले लाखों से अधिक लोगों को स्वच्छ कपड़ों, स्वच्छ परिवेश और स्वच्छ जीवनशैली के साथ व्यवस्थागत, निवासियों से साफ, सूखे कचरों की अपेक्षित मात्राओं को लिऐ जाने और प्रक्रियाओं, इकाईयों की क्षमताओं में दिऐ जाने की नैतिक, न्यायपूर्ण, मानवीय, पर्यावरण हितैषी और संम्मान जनक कार्यपद्धति मिलनी चाहिऐ।
सरकारों को रसोई गैस वितरण, राशन वितरण, बिजली के बिल भुगतान और नौकरियों के भुगतान में निवासियों के पास उपलब्ध पुस्तिका में साफ, सूखे कचरों की क्रमानुसार बढ़ी मात्राओं के विवरण दर्ज कराने चाहिऐ। निवासियों को पर्यावरण संरक्षणमय जीवनशैली देनी चाहिऐ। और पर्यावरण, सार्वजनिकता को कचरों से सुरक्षित रखने की नैतिक और मानवीय कार्यपद्धति अनुपालन में लानी चाहिऐ।
दुकानों, व्यवसायों और संस्थानों से जैविक कचरों को नीतिगत तौर पर लिया जाना, इससे खाद बनाया जाना और इसके व्यवसाय संचालित होना आवश्यक है। महत्त्वपूर्ण है।
लेकिन घरेलू आधार पर निवासियों से जैविक कचरों को लिया जाना उन्हें व्यक्तिगत लाभों से वंचित करना है। उन्हें गरीबी की ओर धकेला जाना है। अति गरीबों के लिऐ विकट स्थितियां पैदा करना है।
जैविक कचरों के प्रबंधन की घरेलू प्राथमिकताओं से निवासियों को कुछ सब्जियां, छोटे पौधों के फल उपलब्ध होने चाहिऐ। जिससे बाजार में उपलब्ध कुछ खाद्य वस्तुओं पर दवाब कम हो सकें और अति गरीबों तक ऐसी खाद्य वस्तुओं की पहुंच आसान, सुलभ हो सके।
सरकारों को नियमों, प्रावधानों, प्रोत्साहनों और बाध्यताओं से सभी दुकानों, व्यवसायों और संस्थानों के उत्पादित जैविक, एकल उपयोग कचरों (प्लास्टिक इत्यादि) को प्रक्रियागत, व्यवस्थागत करना चाहिऐ। और रासायनिक कचरों के प्रबंधन की नीतिपूर्ण व्यवस्था अनिवार्य करानी चाहिऐ। और एक निवासी, एक घर को पर्यावरण, मानवता के संरक्षणों से जोड़ना चाहिऐ।
पर्यावरण, सार्वजनिकता में धूप, पानी, कीचड़, अधिक तापमान से प्लास्टिक कचरों के उत्सर्जन, बिखराव, रिसाव और शूक्ष्म कणों के टूटने में अतिरिक्त कचरों को पहुंचने से रोकने में यह कार्यपद्धति अति विशेष अहम है।